LAST 144 DAYS IN SMRITI

1 अगस्त 1947

गांधीजी श्रीनगर पहुँचे।

4 अगस्त

जम्मू पहुँचे।

5 अगस्त

गुरुद्वारा पंजा साहबमें भाषण दिया। वाह शरणार्थी शिविर में आयोजित प्रार्थना सभामें भाषण दिया।

6 अगस्त

लाहौर पहुँचे। कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा पूछे गये प्रश्नों के उतर दिये। शामको कलकता के रास्ते पटना के लिए रवाना हुए।

8 अगस्त

पटना में प्रार्थना-सभामें भाषण देते हुए कहा कि 15 अगस्त का दिन उपवास, कताई और प्रार्थना करते हुए बिताना चाहिए।

9 अगस्त

कलकत्ता पहुँचे। सोसुर आश्रम में ठहरे।

10 अगस्त

बंगाल के कांग्रेस मंत्रियों से भेंट की। मुसलमानों के शिष्टमंडलसे भेंट की।प्रार्थना़-सभामेें नोआखलीकी या़त्रा दो दिन स्थगित करने की घोषणा की।

11 अगस्त

कलकत्ता में अपने निवासकी अवधिमें वृद्धि की और एच. एस. सुहरावर्दीकी माँगके प्रत्युत्तरमें गांधीजी ने सुझाव दिया कि वे सुहरावर्दीके साथ ठहरेंगे और जब तक प्रत्येक हिन्दू और मुसलमान सुरक्षित महसूस नहीं करता तब तक वे दोनों मिलकर काम करेंगे।

12अगस्त

प्रार्थना-सभामें घोषणा की कि जब तक शान्ति कायम नहीं हो जाती तब तक वे और सुहरावर्दी गड़बड़ी वाले इलाके में मिलकर रहेंगे और काम करेंगे।

13 अगस्त

दंगाग्रस्त इलाके में स्थित ‘हैदरी मैशन’ में ठहरने आये, जहाँ पहुँचने पर उन्हें क्रुद्ध हिन्दुओं के प्रदर्शनका सामना करना पड़ा।

15अगस्त

स्वतन्त्रता दिवस उपवास, कताई और प्रार्थना करते हुए बिताया।

16अगस्त

रेवरेण्ड जाॅन केलाॅसके साथ बातचीत की।

18अगस्त

प्रार्थना सभामें मुसलमानों को ईदकी बधाइयाँ दीं।

19अगस्त

कंचनपाड़ा में औद्योगिक क्षेत्रका दौरा किया, जहाँ मस्जिद के पास पुलिस को गोली चलानी पड़ी थी।

20अगस्त

समाचार पत्रों को दी गई भेंट में राजनीतिक विषयों पर टीका-टिप्पणी करने से इनकार कर दिया क्योंकि वे इस प्रचार माध्यम का उपयोग हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए करना चाहते थे।

21अगस्त

महिलाओं की सभामें भाषण दिया।

22अगस्त

कस्तूरबा न्यासके प्रशिक्षणार्थियोंके प्रश्नों के उत्तर दिये।

24अगस्त

हरिजन पत्रिकाओं को जारी रखने के सिलसिले में पाठकों की राय माँगी।

30अगस्त

एक पत्र में माउंटबैटन ने गांधीजी को ‘एक व्यक्ति सीमा सेना’ की संज्ञा दी। एक भेंट के दौरान रैण्डाॅल्फ चर्चिलको बताया कि मैं बँटवारेको अब भी एक ”पाप“ समझता हूँ।

31अगस्त

ग्राण्ड होटल में मुसलमान व्यापारियों के समक्ष भाषण दिया। हिंसक प्रदर्शन का सामना करना पड़ा। लेकिन हताहत नहीं हुए।

1 सितम्बर

हिंसा भड़कने से बेहद परेशान हो गये। रात सवा आठ बजे उपवास शुरू किया; तोड़ने की शर्त थी कलकत्तामें शान्तिकी स्थापना। राजगोपालाचारिके साथ बातचीतमें उपवास तोड़ने से इनकार कर दिया।

2 सितम्बर

अपनी लाहौर यात्रा रद्द कर दी। शामको शरतचन्द्र बोस और प्रफुलचन्द्र घोषके साथ बातचीत की।

3 सितम्बर

हिन्दू और मुसलमान प्रतिनिधियों से बातचीत की।

4 सितम्बर

सभी सम्प्रदायों के नेताओं से दंगे बन्द करने और साम्प्रदायिक सौहार्द रखने का आश्वासन प्राप्त करने के बाद उपवास तोड़ दिया।

5 सितम्बर

शान्ति सेना दल को भेजे सन्देश में कहा ‘मेरा जीवन ही मेरा सन्देश है’।

7 सितम्बर

गोबरा कुष्ठरोग अस्पताल देखने गये और बीमारों तथा वहाँ के कर्मचारियों के समक्ष बोले। दिल्ली के लिए रवाना।

9 सितम्बर

दिल्ली पहुँचे। बिड़ला भवन में ठहरे।

11 सितम्बर

सिखोंके प्रतिनिधिमण्डलको भेंट दी। इर्विन अस्पताल देखने गये।

12 सितम्बर

प्रार्थना-सभामें उत्तर-पश्चिमी सीमाप्रान्त में हुए दंगों का जिक्र किया।

16 सितम्बर

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघकी रैली में भाषण दिया। कुरानकी आयतका पाठ होने की आलोचना के कारण प्रार्थना छोड़ दी।

17 सितम्बर

प्रार्थना-सभा में लोगों से स्वतन्त्रता के लिए तैयार होने के लिए क्रोध पर अंकुश रखने पर जोर दिया।

18 सितम्बर

दरियागंज की मस्जिद में मुसलमानों को सम्बोधित किया। सुहरावर्दी के साथ बातचीत की।

21 सितम्बर

प्रार्थना-सभामें भाषण दिया, हालाँ की कुरान की आयतके पाठकी आलोचना होने से प्रार्थना छोड़ देनी पड़ी थी।

22 सितम्बर

‘हरिजन’ साप्ताहिकों का प्रकाशन जारी रखने के निर्णय की सूचना दी।

24 सितम्बर

नवानगर के जामसाहब के साथ बातचीत में काठियावाड़ के शासकों को एक होकर रहने की सलाह दी।

25 सितम्बर

जे. बी. कृपलानी के साथ बातचीत में जनसंख्या की स्थायी तौर पर अदला-बदली के प्रति विरोध प्रकट किया।

26 सितम्बर

सुहरावर्दी के साथ बातचीत की।

29 सितम्बर

प्रार्थना-सभा में समाचार पत्रों की बेबुनियाद रिपोर्टों के प्रति विरोध प्रकट किया।

2 अक्टूबर

अपने 78 वें जन्मदिवस पर डाक्टरों द्वारा पेनिसिलिन लेने की सलाह देने पर घोषणा की कि रामनाम ही एकमात्र उपचार है।

6 अक्टूबर

प्रार्थना-सभा में पढ़े गये भाषण में भोजन की आत्म-निर्भरता पर बल दिया।

9 अक्टूबर

सुहरावर्दी के साथ बातचीत की।

11 अक्टूबर

अपने जन्मदिवस के उपलक्ष्य में सम्मान हेतु थैली भेंट किये जाने पर गुजरातियों के समक्ष भाषण दिया।

13 अक्टूबर

प्रार्थना-सभामें भाषण देते हुए शरणार्थी शिविरों में स्वच्छता और सफाई की आवश्यकता पर बल दिया।

17 अक्टूबर

जूलियन हक्सलेको पत्रमें लिखा: “अधिकारों की पात्रता और उनके सुरक्षित रखे जाने का हक किसी न किसी कर्तव्य के सुसम्पादन से प्राप्त होता है”। आकाशवाणी के गुजराती सुवाददाताओं को भेंट दी।

19 अक्टूबर

दोपहर को लेडी हैंडीज को मौनका महत्व समझाया।

20 अक्टूबर

प्रार्थना-सभामें भाषण दिया।

22 अक्टूबर

ईसाई शान्तिवादियों और मुसलमानों के साथ बातचीत की।

25 अक्टूबर

कम्युनिस्टों के साथ बातचीत की।

26 अक्टूबर

मुसलमानों को सलाह दी कि वे ईद के दिन खून न बहायें बल्कि उसे बलि के रूप में चढ़ायें।

27 अक्टूबर

प्रार्थना-सभा में सेनाओं से साम्प्रदायिकताका त्याग करने को कहा।

30 अक्टूबर

सिन्ध के कांग्रेसी नेताओं को सलाह दी कि यदि उनमें सिन्ध लौट जाने की हिम्मत नहीं है तो उन्हें गाँवों में बस जाना चाहिए।

31 अक्टूबर

प्रार्थना-सभा में लोगों से कहा कि वे अपने धर्म का निडर होकर पालन करें।

1 नवम्बर

प्रार्थना सभा में कुरुक्षेत्र के शरणार्थियों का और कश्मीर की घटनाओं का जिक्र किया। होरेस अलेक्जेंडरसे भेंट की।

2 नवम्बर

प्रार्थना-सभा में कश्मीर की घटनाओं का जिक्र किया।

2 नवम्बरसे पूर्व

रोनल्ड स्टीडको भेंट दी।

3 नवम्बर

प्रार्थना-सभा में खाद्य नियन्त्रण को हटाने के पक्ष में बोले।

4 नवम्बर

प्रार्थना-सभा में भाषण दिया।

5 नवम्बर

चीनी प्रतिनिधिमण्डल को भेंट दी। प्रार्थना-सभा में कश्मीर के विषयकी चर्चा की।

6 नवम्बर

खाद्य समितिकी बैठक में शामिल हुए और खाद्य नियन्त्रण को हटाने के विषय में चर्चा की। प्रार्थना-सभा में खाद्य नियन्त्रण को हटाने के अपने प्रस्तावका जिक्र किया। चीनी प्रतिनिधिमण्डल को दी भेंट में उन्हें शान्ति और अहिंसाका संदेश दिया।

7 नवम्बर

इन्डोनेशिया के अतिथियों के साथ बातचीत की। तिहाड़ गाँव देखने गये। प्रार्थना-सभामें दिल्ली में बसे शरणार्थियों को आत्मनिर्भर बनने की सलाह दी।

8 नवम्बर

लेडी माउंटबैटनको भेंट दी। प्रार्थना-सभामें कपड़े पर लगा कन्ट्रोल हटाने की सलाह दी। बर्माकें शिष्टमंडल को भेंट दी।

9 नवम्बर

प्रार्थना-सभामें भाषण दिया।

10 नवम्बर

पानीपत का दौरा किया। प्रार्थना-सभा में जूनागढ़ के भारतीय संघमें शामिल होने का स्वागत किया।

11 नवम्बर

गांधीजी दिल्ली में। शंकरराव देव, जे. बी. कृपलानी, राजेन्द्र प्रसाद, मणिबहन पटेल और अमृतकौर के साथ बातचीत की। कांग्रेस कार्यसमितिकी बैठक में शामिल हुए। प्रार्थना-सभामें दिये गये भाषण में भारत सरकार द्वारा जूनागढ़का प्रशासन अपने हाथ में लेने का समर्थन किया।

12 नवम्बर

मुसलमान छात्रों और एच. एस. सुहरावर्दी के साथ बातचीत की। दोपहर के बाद रेडियोसे कुरुक्षेत्र शिविरके शरणार्थियोंके लिए सन्देश प्रसारित किया। कांग्रेस कार्य-समितिकी बैठक में शामिल हुए। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया।

13 नवम्बर

कांग्रेस कार्य-समिति की बैठक में शामिल हुए। राजेन्द्रप्रसाद, सुचेता कृपलानी, एच. एस. सुहरावर्दी, डाॅ. जीवराज मेहता, प्रफुल्लचन्द्र घोष, शंकरराव देव, बी. जी. खेर, जवाहरलाल नेहरू, प्रभावती और अनन्तराय पट्टणी के साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया।

14 नवम्बर

कांग्रेस कार्य-समितिकी बैठकमें शामिल हुए। राजेन्द्र प्रसाद, मृदुला साराभाई, डाॅ. किचलू, सुधीर घोष और एच. एस. सुहरावर्दी के साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया। हाउस आॅफ काॅमन्समें बर्मा स्वाधीनता विधेयक पारित हो गया।

15 नवम्बर

गांधीजी कांग्रेस कार्य-समितिकी बैठक में शामिल हुए। राजेन्द्र प्रसाद, जे. बी. कृपलानी, चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, सुधीर घोष, जवाहरलाल नेहरू, दादा धर्माधिकारी और अनन्तराय पट्टणी के साथा बातचीत की। अ. भा. कांग्रेस कमेटीकी बैठक में शामिल हुए। अ. भा. कांग्रेस कमेटी ने ”अल्पसंख्यकों के अधिकार“ “शरणार्थियों की स्वदेश वापसी” तथा ”राज्य“ से सम्बन्धित प्रस्ताव पारित कर दिये। जे. बी. कृपलानीने कांग्रेस के अध्यक्षपद से इस्तीफा दे दिया। गांधीजी ने प्रार्थना-सभामें भाषण दिया।

16 नवम्बर

कांग्रेस कार्य-समितिकी बैठक में शामिल हुए। एच. एएस. सुहरावर्दी, वल्लभभाई पटेल और जवाहरलाल नेहरू के साथ बातचीत की। अ. भा. कांग्रेस कमेटी ने “साम्प्रदायिक दंगे”, ”गैर सरकारी सेनाएं“, “कन्ट्रोल”, ”कांग्रेस संविधान“ तथा “कांग्रेसके उद्देश्य“ से सम्बन्धित प्रस्ताव पारित कर दिये।

17 नवम्बर

गांधीजी कांग्रेस कार्य-समितिकी बैठक में शामिल हुए। रामेश्वरी नेहरू, अमृतलाल वि. ठक्कर, होरेस अलेक्जेंडर, जमनादास द्वाराकादास और राममनोंहर लोहिया के साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें गांधीजी का भाषण पढ़कर सुनाया गया। अ. भा. कांग्रेस कमेटी ने जे. बी. कृपलानीका इस्तीफा मंजूर करके राजेन्द्र प्रसाद को अध्यक्ष बनाया और अपना अधिवेशन समाप्त कर दिया।

18 नवम्बर

गांधीजी ने राजेन्द्र प्रसाद, जयप्रकाश नारायण, जवाहरलाल नेहरू, डाॅ. सैयद महमूद, सुचेता कृपलानी, गोपालस्वामी अय्यंगार, रामपुर के दीवान, शाहनवाज खाँ, दादा धर्माधिकारी, गोपालराव और अच्युत पटवर्धनसे बातचीत की। प्रार्थना-सभामें “अल्पसंख्यकों के अधिकार” से सम्बन्धित कांग्रेस के प्रस्तावको समझाया तथा जनता से इसका समर्थन और पालन करने की अपील की। डोमिनियन पार्लियमेंट के रूपमें संविधान-सभा की पहली बैठक हुई। गं. वा. मावलंकर इसके अध्यक्ष निर्वावित हुए।

19 नवम्बर

गांधीजी ने राजेन्द्र प्रसाद, रामेश्वरी नेहरू, अमृत कौर, डाॅ. सैयद महमूद, सर अकबर हैदरी, जयरामदास दौलतराम, शाह नवाज खाँ, महामाया प्रसाद, एच. एस. सुहरावर्दी और लाॅर्ड इस्मेके साथ बातचीत की। प्रार्थना सभामें भाषण दिया।

20 नवम्बर

राजेन्द्र प्रसाद, शंकरराव देव, चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, सोफिया बहन और सुधीर घोष के साथ बातचीत की। दोपहर बाद संचेता कृपलानी के साथ ओखला के निकट शरणार्थी शिविर देखने गये। चक्रवर्ती राजगोपालाचारी और रुग्ण सरोजिनी नायडूसे मिलने गवर्नमेंट हाउस गये। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया। दक्षिण अफ्रीकामें भारतीयों के साथ किये गये व्यवहार पर गोलमेज सम्मेलन बुलानेसे सम्बन्धित भारतीय प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभामें पारित नहीं हो सका। रानी एलिजाबेथका विवाह फिलिप माउंटबैटन के साथ सम्पन्न हुआ।

21 नवम्बर

गांधीजी ने राजेन्द्र प्रसाद, शंकरराव देव, रामेश्वरी नेहरू, चोइथराम गिडवानी, के. सी. नियोगी, जवाहरलाल नेहरू, मिस्रके शिष्ठमंडल, राममनोहर लोहिया, डाॅ. चिमनलाल और हरेकृष्ण मेहताबसे बातचीत की। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया।

22 नवम्बर

राजेन्द्र प्रसाद, रामेश्वरी नेहरू, महावीर त्यागी, गोपाल स्वामी अय्यंगार, जाॅन मथाई, शाह नवाज खाँ, मृदुला साराभाई, नलिनी सेन, इन्दिरा गांधी, फिरोज गांधी, गोपालराव काले, राममनोहर लोहिया, सुचेता कृपलानी, नलिनीरंजन सरकार और वल्लभभाई पटेलके साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया।

23 नवम्बर

राजेन्द्र प्रसाद, होरेस अलेक्जेंडर, बी. जी. खेर, मोरारजी देसाई, विजयनगर की महारानी, सोफिया बहन, रेड्डियार, अमृतलाल वि. ठक्कर, के. श्रीनिवासन, डाॅ. गोपीचन्द भार्गव, वल्लभभाई पटेल, खण्डूभाई देसाई, गिरिजाशंकर वाजपेयी और जवाहरलाल नेहरू के साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया। रुग्ण मणिबहन पटेल को देखने गये।

24 नवम्बर

प्रार्थना-सभामें गांधीजी का भाषण पढ़कर सुनाया गया। राजेन्द्र प्रसाद, चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, होरेस अलेक्जेंडर, मृदुला साराभाई, अनन्तराय पट्टणी, ख्वाजा अब्दुल मजीद, रामेश्वरी नेहरू, बृजलाल नेहरू, विलासपुर के राजा और अमृतकौर से भेंट की।

25 नवम्बर

राजेन्द्र प्रसाद, ख्वाजा अब्दुल मजीद, सोफियाबहन, अरुणा आसफ अली, सुभद्रा गुप्ता, जवाहरलाल नेहरू, अमृतकौर और लेडी माउंटबैटन के साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभा में भाषण दिया।

26 नवम्बर

राजेन्द्र प्रसाद, चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, अबुल कलाम आजाद, रामेश्वरी नेहरू, गोपीनाथ बार्डोलोई और जवाहरलाल नेहरूके साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया। पंढारपुरमें विठोबा मन्दिर हरिजनोंके लिए खोल दिया गया। लाॅर्ड माउंटबैटनने गवर्नर-जनरलके पदका कार्य-भार संभाला। हाउस आॅफ काॅमन्स द्वारा सीलोन स्वाधीनता विधेयक पारित।

27 नवम्बर

गांधीजी ने लाॅर्ड माउंटबैटनसे भेंट की। रोगग्रस्त लियाकत अलीको देखने गये। राजेन्द्र प्रसाद, जे. बी. कृपलानी, शेख अब्दुल्ला, जमनादास द्वारकादास और बलवन्तराय मेहतासे बातचीत की। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया।

28 नवम्बर

अमेरिकी आगन्तुकों, शेख अब्दुल्ला, अबुल कलाम आजाद, डाॅ. शहरीर, वल्लभभाई पटेल और जवाहरलाल नेहरूके साथ बातचीत की। गुरु नानक जन्मदिवस समारोहके अवसर पर भाषण दिया। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया।

29 नवम्बर

राजेन्द्र प्रसाद, चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, सुरेन्द्र मोहन घोष, पानीपतके मुसलमान तथा जवाहरलाल नेहरूके साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया।

30 नवम्बर

मौलानाओं, कस्तूरभाई लालभाई शाह, सर्वपल्ली राधाकृष्णन, वल्लभभाई पटेल, दिनशा के. मेहता और जहाँगीर पटेलके साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया। भारत और हैदराबादके बीच समझौते पर हस्ताक्षर हुए।

1 दिसम्बर

ले. जनरल के. एम. करिअप्पा, राजेन्द्र प्रसाद, दिनशा के. मेहता, जहाँगीर पटेल और जवाहरलाल नेहरूके साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें गांधीजी का भाषण पढ़कर सुनाया गया।

2 दिसम्बर

पानीपतका दौरा किया, मुसलमान शरणार्थी, मुसलमान नेता और डाॅ. गोपीचन्द भार्गवके साथ बातचीत की। सार्वजनिक सभामें भाषण दिया। मृदुला साराभाईो भेंट की। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया।

3 दिसम्बर

मेहर चन्द खन्ना, कमलादेवी चट्टोपाध्याय, बख्शी गुलाम मुहम्मद, ले. जनरल के. एम. करिअप्पा और जवाहरलाल नेहरूके साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया।

4 दिसम्बर

अमृतकौर, जहाँगीर पटेल, खुर्शेद नौरोजी, बर्माके प्रधानमन्त्री और श्यामाप्रसाद मुखर्जीके साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया।

5 दिसम्बर

राजेन्द्र प्रसाद, अनुग्रह नारायणसिंह, मृदुला साराभाई, घनश्याम सिंह गुप्ता, जवाहरलाल नेहरू, रेणुका राय, डाॅ. जीवराज मेहता और अन्नदा चैधरीके साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया।

6 दिसम्बर

होरेस अलेक्जेंडर, खुर्शेद नौरोजी, अबुल कलाम आजाद, वल्लभभाई पटेल, सरलाबहन साराभाई, ग. वा. मावलंकर और एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी के साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें सुब्बुलक्ष्मीने भजन गाया। गांधीजी ने सभामें भाषण दिया। जबरदस्ती धर्म-परिवर्तित लोगों तथा भगाई हुई स्त्रीयोंकी वापसीकी समस्याओंके उपायों पर विचार करने के लिए लाहौर में अन्तर-डोमिनियन सम्मेलन हुआ।

7 दिसम्बर

कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय स्मारक न्यासकी बैठकमें गांधीजी ने भाषण दिया। सिन्धी मित्रों, वल्लभभाई पटेल, जवाहरलाल नेहरू, सुचेता कृपलानी और मृदुला साराभाईके साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें दिये गये भाषणमें कहा कि भगाई हुई स्त्रियोंकी वापसीका मामला भारत और पाकिस्तान सरकारको सबसे पहले हाथमें लेना चाहिए।

8 दिसम्बर

उ. न. ढेबर, भक्तिबा, सी. पी. रामस्वामी, सुचेता कृपलानी, जे. बी. कृपलानी, रेणुका राय और जवाहरलाल नेहरूके साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें गांधीजीका भाषण पढ़कर सुनाया गया। चीनी पर से कन्ट्रोल हटा लिया गया।

9 दिसम्बर

गांधीजी ने शंकरराव देव, सरलाबहन साराभाई, खुर्शेद नौरोजी और जवाहरलाल नेहरूके साथ बातचीत की। कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय स्मारक न्यास और अखिल भारतीय चरखा संघकी बैठकोंमें शामिल हुए। कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय स्मारक न्यासकी महिला कार्यकर्ताओंके साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया।

10 दिसम्बर

एच. एस. सुहरावर्दी, जयप्रकाश नारायण और सतीश चन्द्र दासगुप्तके साथ बातचीत की। हिन्दुस्तानी तालीमी संघकी बैठकमें भाषण दिया। प्रार्थना-सभामें दिये भाषण में अ. भा. चरखा संघकी गतिविधियोंपर प्रकाश डाला।

11 दिसम्बर

जे. सी. कुमारप्पा, अमृतकौर और जवाहरलाल नेहरूके साथ बातचीत की। रचनात्मक कार्य सम्बन्धी समितिकी बैठकमें भाषण दिया। सांगली, औंध, फलतान, मीराज (सीनियर) ओर रामदुर्गके शासकोंसे भेंट की। सुरक्षा विधेयकके विरोधमें कलकत्तामें प्रदर्शन हुए।

12 दिसम्बर

द. बा. कालेलकर, शंकरराव देव, घनश्यामदास बिड़ला और डाॅ. गोपीचन्द भार्गवके साथ बातचीत की। रचनात्मक कार्य-सम्बन्धी समितिकी बैठकमें भाषण दिया। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया।

13 दिसम्बर

द. बा. कालेलकर, आचार्य जुगल किशोर, आर. आर. दिवाकर, पं. सुन्दरलाल, सतीशचन्द्र दासगुप्त, लक्ष्मीदास और जमनादास द्वारकादासके साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया।

14 दिसम्बर

वाई. एम. पारनेकर, कैप्टेन, खुर्शेद नौरोजी, जी. रामचन्द्रन, सौन्दरम, सतीशचन्द्र दासगुप्त, अमृतकौर और जवाहरलाल नेहरूके साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया। रचनात्मक कार्यकर्ताओंके साथ बातचीत की।

15 दिसम्बर

प्यारेलाल, मौलानाओं, अनन्तराय पट्टणी, जे. सी. कुमारप्पा और अमृतकौरके साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें गांधीजी का भाषण पढ़कर सुनाया गया।

16 दिसम्बर

प्यारेलाल, सतीशचन्द्र दासगुप्त, अरुणचन्द्र गुहा, बेल्जियमकी राजकुमारी, अमृतकौर, वल्लभभाई पटेल और जम्मूके आगन्तुकोंके साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया।

17 दिसम्बर

संयुक्त प्रान्तोंके छात्रोंके नाम सन्देश भेजा। शंकरराव देव, सुशीला पै, सर दाजार सिंह, डाॅ. आचार्य, भावनगरके महाराजा, मौलानाओं और जवाहरलाल नेहरूके साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया।

18 दिसम्बर

राजेन्द्र प्रसाद, शंकरराव देव, एच. एस. सुहरावर्दी, फ्रांसके राजदूत, राममनोहर लोहिया, डाॅ. गोपीचन्द भार्गव, स्वर्ण सिंह और जवाहरलाल नेहरूके साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया।

19 दिसम्बर

गुडगाँव तहसीलमें स्थित जेसाराह गाँवमें मेव लोगोंके समक्ष भाषण दिया। राजेन्द्र प्रसाद, वल्लभभाई पटेल और जवाहरलाल नेहरूसे सुबह और फिर दुबारा शामको बातचीत की। प्यारेलाल, डाॅ. चन्दूभाई, दिनकरभाई देसाई, क. मा. मुन्शी और कपूरथलाके महाराजाके साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया।

20 दिसम्बर

राणा पेटी लोगों, श्रीप्रकाश तथा जवाहरलाल नेहरूके साथ बातचीत की। भावलपुर, मीरपुरा और जम्मूके लोगोंसे भेंट की। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया।

21 दिसम्बर

एच. एस. सुहरावर्दी, बृजपाल नेहरू, रामेश्वरी नेहरू, शेख अब्दुल्ला, बेगम अब्दुल्ला, डाॅ. किचलू, बी. सी. गुलाम मुहम्मद, छतारीके नवाब, कच्छके राजकुमार, भावनगर के महाराजा और अनन्तराय पट्टणीके साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया। विजयलक्ष्मी पंडित और जवाहरलाल नेहरूसे भेंट की। संयुक्त दक्षिण राज्यका निर्माण।

22 दिसम्बर

गांधीजी ने पं. सुन्दरलाल, एच. एस. सुहरावर्दी, लक्ष्मीदास आसर, राव साहब पटवर्धन, राममनोहर लोहिया और जवाहरलाल नेहरूके साथ बातचीत की। गांधीजी का भाषण प्रार्थना-सभामें पढ़कर सुनाया गया। राजेन्द्र प्रसादने कांगे्रसके अध्यक्ष पदका कार्यभार संभाला।

23 दिसम्बर

गांधीजी ने जे. बी. कृपलानी, सुचेता कृपलानी, लक्ष्मीदास आसर, एच. एस. सुहरावर्दी, खामवातके नवाब, जवाहरलाल नेहरू, लेडी माउंटबैटन, वल्लभभाई पटेल और क. मा. मुन्शीके साथ बातचीत की। स्थानीय मुसलमानों तथा बहावलपुर और रावलपिण्डीके लोगोंसे भेंट की। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया। वल्लभभाई पटेल और जवाहरलाल नेहरूके साथ बातचीत की।

24 दिसम्बर

जे. बी. कृपलानी और मौलानाओंसे भेंट की। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया। शामको वल्लभभाई पटेल और जवाहरलाल नेहरूसे बातचीत की।

25 दिसम्बर

सेवकराम, दीनशा मेहता, जहाँगीर पटेल, रामेश्वरी नेहरू, वल्लभभाई पटेल, जवाहरलाल नेहरू और इन्डोनेशिया की महिला प्रतिनिधियोंसे बातचीत की। स्थानीय मौलानाओंसे भेंट की। प्रार्थना-सभामें दिये भाषणमें कश्मीर समस्याका जिक्र किया और इस सम्बन्धमें किसी तीसरे देश द्वारा मध्यस्थता करने का विरोध किया।

26 दिसम्बर

सेवकराम, दिनशा के. मेहता, शामलदास गांधी, उ. न. ढेबर, बलवन्तराय मेहता, सरदार निहालसिंह, चोइथराम गिडवानी और कीकीबहनके साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया। वल्लभभाई पटेल और जवाहरलाल नेहरूके साथ बातचीत की।

27 दिसम्बर

सुबह 10.30 बजे लाॅर्ड माउंटबैटनसे भेंट की। जहाँगीर पटेल, वल्लभभाई पटेल, जवाहरलाल नेहरू, हरिभाऊ उपाध्यायकी अध्यक्षतामें अजमेरसे आये शिष्टामण्डल और मार्तण्ड उपाध्यायके साथ बातचीत की। सम्भल गाँवमें आयोजित प्रार्थना-सभामें भाषण दिया।

28 दिसम्बर

जहाँगीर पटेल, शामलदास गांधी, उ. न. ढेबर, पटियालाके महाराजा, जवाहरलाल नेहरू और शेख अब्दुल्लाके साथ बातचीत की। कपड़ा व्यापारियोंकी सभामें भाषण दिया। प्रार्थना-सभामें दिये भाषणमें कपड़े पर कन्ट्रोल हटाने की वकालत की।

29 दिसम्बर

उ. न. ढेबर, शामलदास गांधी, बलवन्तराय मेहता, अनन्तराय पट्टहकीम अजमल खाँको श्रद्धांजलि अर्पित की।

30 दिसम्बर

रामेश्वरी नेहरू, वल्लभभाई पटेल, शेख अब्दुल्ला, कच्छके दीवान और अबुल कलाम आजादके साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें दिये भाषणमें भावलपुरके नवाबसे हिन्दुओं और सिखोंके निष्क्रमणकी व्यवस्था करनेकी अपील की। जवाहरलाल नेहरू और जे. बी. कृपलानीके साथ बातचीत की।

31 दिसम्बर

सुभद्रा गुप्ता, अनन्तराय पट्टणी, अमृतकौर और कांग्रेस कार्यकर्ताओंके साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया। भारत सरकार द्वारा कश्मीरके मामलेको संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषदको सौंपने का निर्णय।

1 जनवरी, 1948

गांधीजीने अमृतकौर, अनन्तराय पट्टणी, ज्ञानी करतारसिंह और सरदार दिलीप सिंहके साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें दिये भाषणमें सरकारसे मद्य-निषेध लागू करने की अपील की। उड़ीसाकी 25 रियासतोंका प्रशासन भारत सरकारने अपने हाथमें ले लिया।

2 जनवरी

कश्मीर का मामला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषदमें। गांधीजी ने देवप्रकाश नैयर, चाँदरानी और जवाहरलाल नेहरूके साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया।

3 जनवरी

राजेन्द्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू, अमृतकौर और मौलानाओंके साथ बातचीत की। अवल कैंटीन शरणार्थी शिविरमें आयोजित प्रार्थना-सभामें भाषण दिया। जुनागढ़की अस्थायी सरकार बर्खास्त।

4 जनवरी

गांधीजी ने राजेन्द्र प्रसाद, पं. सुन्दरलाल, जाकिर हुसैन, जवाहरलाल नेहरू और मुसलमान नेताओंके साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें दिये भाषणमें भारत सरकार द्वारा कश्मीरके मामलेको संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषदमें ले जाने को उचित ठहराया। बर्मा गणतन्त्रकी स्वाधीनताकी घोषणा।

5 जनवरी

गांधीजी ने मुन्नालाल गं. शाह, सुभद्रा गुप्ता, जवाहरलाल नेहरू और मौलानाओंके साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभाके लिए लिखे गये भाषणमें खाद्य पर से कंट्रोल हटाने के बारेमें विचार व्यक्त किये।

6 जनवरी

खुर्शेद नौरोजी, कृष्णन नायर, मण्डीके राजा और रानी, रामेश्वरी नेहरू और बृजलाल नेहरूसे भेंट की। जवाहरलाल नेहरूके साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें दिये भाषणमें बम्बईके गोदी कार्यकर्ताओंको हड़ताल न करने की सलाह दी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषदने कश्मीर मामले पर सुनवाई स्थगित की सलाह दी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषदने कश्मीर मामले पर सुनवाई स्थगित कर दी। कराचीके गुरुद्वारेमें सिख शरणार्थियों पर मुसलमानोंकी भीड़का हमला।

7 जनवरी

गांधीजी ने गोपालस्वामी अय्यंगार, एम. एस. अणे, अब्दुल गनी, रामेश्वरी नेहरू और मृदुला साराभाईके साथ बातचीत की। पंजाब, सिन्ध और उ. प. सीमाप्रान्तके लोगोंसे भेंट की। प्रार्थना-सभामें दिये भाषणमें कराचीकी घटनाके बारेमें पाकिस्तान सरकारके साथ तर्क-वितर्क किया।

8 जनवरी

द. बा. कालेलकर, जे. बी. कृपलानी, सुचेता कृपलानी, कीकीबहन, रुक्मिणी एरूलकर, वल्लभभाई पटेल, अनन्तराय पट्टणी, अ. वि. ठक्कर, डाॅ. किचलू, शेख अब्दुल्ला और जवाहरलाल नेहरूके साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें दिये भाषणमें छात्रोंको हड़ताल न करने की सलाह दी।

9 जनवरी

वल्लभभाई पटेल, मनुभाई पंचोली, बलवन्तराय मेहता, मोहनभाई मोतीचन्द गद्ढाावाला, श्रीमन्नारयण, जवाहरलाल नेहरू और रामेश्वरी नेहरूके साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया।

10 जनवरी

अनन्तराय पट्टणी, एन. वी. गाडगिल, ईरानके राजदूत और जवाहरलाल नेहरूके साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें आश्वासन दिया कि भावलपुरसे शरणार्थियोंको हटा लिया जायेगा।

11 जनवरी

शंकरराव देव, राजेन्द्र प्रसाद, भीमसेन सच्चर, सोराबजी रुस्तम, प्रागजीभाई और अनन्तराय पट्टणीके साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया।

12 जनवरी

समाचारपत्रोंको दिये वक्तव्यमें वल्लभभाई पटेलने पाकिस्तानके वित्त मन्त्री द्वारा लगाये गये आरोपोंका उत्तर दिया और भारत सरकारकी इस बातकी पुष्टिकी कि वित्तीय मामलोंको कश्मीर जैसे महत्त्वपूर्ण विषयोंसे अलग नहीं किया जा सकता। गांधीजी ने जमनादास और वल्लभभाई पटेलसे भेंट की। प्रार्थना-सभामें पढ़े गये लिखित भाषणमें साम्प्रदायिक एकताकी स्थापनाके लिए अनशन शुरू करने की घोषणा की। लाॅर्ड माउंटबैटनसे भेंट की। जवाहरलाल नेहरू, जमनादास और देवदास गांधीसे बातचीत की। एम. एस. अणेको बिहारके गवर्नर-पदकी शपथ दिलाई गई।

13 जनवरी

गांधीजी ने सुबह 11 बजे प्रार्थनाके साथ उपवास आरम्भ किया। वल्लभभाई पटेलके साथ बातचीत की। अमृतकौर, अबुल कलाम आजाद, जयरामदास दौलतराम, एच. एस. सुहरावर्दी, पुरुषोत्तमदास त्रिकमजी और अनन्तराय पट्टणीसे भेंट की। प्रार्थना-सभामें दिये भाषणमें कहा कि दिल्लीमें शान्ति कायम होने पर ही मैं उपवास तोडूँगा। बन्नूसे गैर-मुसलमानोंको ले जानेवाली टेªन पर गुजरात रेलवे स्टेशन पर कबायलियों द्वारा हमला; सैकड़ों मारे गये और घायल हुए तथा महिलाओंका अपहरण किया गया।

14 जनवरी

गांधीजी का उपवास जारी। जवाहरलाल नेहरू, वल्लभभाई पटेल, जाॅन मथाई और षणमुखम् चेट्टीके साथ बातचीत की। उ. प्र. सीमाप्रान्तके शिष्टमण्डल, अमृतकौर, पटियालाके महाराजा, गुरबचनसिंह, सुचेता कृपलानी, मेहरचन्द खन्ना, बख्शी गुलाम मुहम्मद और एच. एस. सुहरावर्दीसे भेंट की। डाॅ. जीवराज मेहता, डाॅ. विधानचन्द्र राय और डाॅ. सुशीला नैयरने गांधीजी की जाँच की और उन्हें विराम करने की सलाह दी। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया। स्वास्थ्य बुलेटिनके अनुसार ”रोज-रोज उपवास करने से वर्तमान और भविष्यमें“ गांधीजी के जीवनको “खतरे” की संभावना।

15 जनवरी

गांधीजी ने जवाहरलाल, पं. सुन्दरलाल, गोस्वामी गणेश दत्त, वी. टी. कृष्णमाचारी, कस्तूरभाई लालभाई शाह, शंकरराव देव, आचार्य जुगल किशोर, वी. जी. खेर, देवासके महाराजा, राजेन्द्र प्रसाद, शाह नवाज खाँ, जयरामदास दौलतराम, षणमुखम् चेट्टी और के. सी. नियोगीसे भेंट की। उपवासके तीसरे दिन गांधीजी काफी कमजोर हो गये और उन्हें आराम कुर्सी पर उठाकर ले जाना पड़ा। खाट पर लेटे-लेटे माइक्रोफोन पर थौड़ा-बहुत बोले; पत्रकारों द्वारा पूछे गये प्रश्नोंसे सम्बन्धित उनका बोलकर लिखाया गया भाषण पढ़कर सुनाया गया। पाकिस्तानके साथ सद्भावनाका प्रदर्शन करते हुए भारत सरकारने बकाया रकमके भुगतानसे सम्बन्धित पाकिस्तानके साथ वित्तीय समझौतेके कार्यान्वयनकी घोषणा की। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषदमें कश्मीर मामलेपर बहस शुरू हुई।

16 जनवरी

राजेन्द्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू, अबुल कलाम आजाद, जयप्रकाश नारायण, प्रभावती, शंकरराव देव, राममनोहर लोहिया, सुचेता कृपलानी, शाह नवाज खाँ और सिख प्रतिनिधिमण्डलने गांधीजी से भेंट की। स्वास्थ्य बुलेटिनके अनुसार गांधीजी के गुर्दों द्वारा ठीकसे काम करना बन्द। गांधीजी ने बिस्तर पर लेटे-लेटे माइक्रोफोन पर कुछ शब्द कहे। गांधीजी द्वारा बोलकर लिखाया गया भाषण प्रार्थना-सभामें पढ़कर सुनाया गया। जवाहरलाल नेहरू, जयरामदास दौलतराम, अमृतकोर और जयप्रकाश नारायणने सार्वजनिक सभाओंमें भाषण दे-देकर जनतासे शान्ति कायम करने तथा गांधीजी के जीवनको बचाने की अपील की।

17 जनवरी

उपवासके पाँचवें दिन गांधीजी की हालत बिगड़ गई। स्वास्थ्य बुलेटिनमें सूचना दी गई कि उपवासको जारी रखना बिलकुल अवांछनीय है और जनतासे अपील की कि वह ऐसे हालात पैदा करें जिससे उपवासको अविलम्ब खत्म किया जा सके। अबुल कलाम आजाद, सर पद्मसिंह, गोपीनाथ बारडोलई, जवाहरलाल नेहरू, सत्यनारायण सिन्हा, लाॅर्ड और लेडी माउंटबैटन, राममनोहर लोहिया और नवाब सदाकत अली खाँसे भेंट की। गांधीजी ने राजेन्द्र प्रसाद और घनश्यामदास बिड़लासे बातचीत की। बिस्तर पर लेटे-लेटे माइक्रोफोन पर कुछ शब्द कहे; उनका बोलकर लिखाया गया भाषण विशाल प्रार्थना-सभामें पढ़ा गया। सार्वजनिक सभामें अबुल कलाम आजादने उन सात शर्तोंकी घोषणा की जिनपर गांधीजी उपवास तोड़ने को तैयार थे। शामको राजेन्द्र प्रसादके निवास पर विभिन्न सम्प्रदायों और संस्थाओंके प्रतिनिधियोंकी सभा हुई।

18 जनवरी

उपवासका छठा दिन। गांधीजी को पेट दर्दकी शिकायत और बेहद बेचैनी। दिल्लीमें विभिन्न दलों और संस्थाओंके सैकड़ों प्रतिनिधियोंने गांधीजी के पास आकर सात शर्तोंके घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर किये। राजेन्द्र प्रसादने घोषणा-पत्र पर कांग्रेस अध्यक्षकी हैसियतसे हस्ताक्षर किये। आश्वासन मिलने पर प्रार्थना-सभाएँ हुईं और दोपहर 12.15 बजे गांधीजी ने उपवास तोड़ दिया। गुरु गोबिन्द सिंहके जन्मदिवस पर सिखोंको सन्देश दिया। बिस्तर पर लेटे-लेटे 20 मिनट तक माइक्रोफोन पर बोले; उनका बोलकर लिखाया गया भाषण प्रार्थना-सभामें पढ़कर सुनाया गया।

19 जनवरी

जमशेदजी, जहाँगीर पटेल, दिनशा के. मेहता, एच. एस. सुहरावर्दी और जवाहरलाल नेहरूके साथ बातचीत की। गांधीजी को कुर्सीपर प्रार्थन-सभा में ले जाया गया; उनका बोलकर लिखाया गया भाषण प्रार्थना-सभामें पढ़कर सुनाया गया। गांधीजी को दिये आश्वासनों पर अमल करने के लिए एक केन्द्रीय शान्ति समितिकी स्थापना हुई। सरकारने कपड़ेपर से कन्ट्रोल हटाने का फैसला किया।

20 जनवरी

गांधीजी की जमशेदजी मेहता, जवाहरलाल नेहरू और अमृतकौरसे बातचीत। प्रार्थना-सभामें भाषण देते हुए कुछ ही दूरी पर बमका विस्फोट हुआ। इस रुकावटके बाद गांधीजी का भाषण जारी रहा। मदनलाल पाहवा गिरफ्तार। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, भारत और पाकिस्तानके बीच कश्मीर विवाद पर मध्यस्तता करने के लिए त्रिदेशीय आयोगकी नियुक्तीके लिए सहमत।

21 जनवरी

बिड़ला भवनमें सुरक्षा व्यवस्था मजबूत कर दी गइ। गांधीजी ने प्रार्थना-सभामें आनेवाले लोगोंकी तलाशी लेने का सुझाव नामंजूर कर दिया। सिख प्रतिनिधिमण्डलसे भेंट की। इफ्तिखारुद्दीन और जवाहरलाल नेहरूसे बातचीत की। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया; गांधीजी को कुर्सी पर ले जाया गया।

22 जनवरी

जवाहरलाल नेहरूके साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया।

23 जनवरी

जवाहरलाल नेहरू और सुचेता कृपलानीके साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें दिये भाषणमें सुभाषचन्द्र बोसके जन्मदिवसके उपलक्ष्यमें उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। काठियावाड़के शासकोंने एक संयुक्त राज्य सौराष्ट्रकी स्थापनाका समर्थन करते हुए एक करार पर हस्ताक्षर किये।

24 जनवरी

गांधीजी कांग्रेस कार्य-समितिकी बैठकमें शामिल हुए। प्रार्थना-सभामें दिये भाषणमें सभी अपहृत महिलाओंको बिना शर्त वापस करने की बात पर जोर दिया। जवाहरलाल नेहरूके साथ बातचीत की।

25 जनवरी

कांग्रेस कार्य-समितिकी बैठकमें शामिल हुए। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया।

26 जनवरी

गोपीचन्द भार्गव, प्रफुल्लचन्द्र घोष और अन्नदा चैधरीके साथ बातचीत की। कांग्रेस कार्य-समितिकी बैठकमें शामिल हुए। गांधीजी का लिखित भाषण प्रार्थना-सभामें पढ़कर सुनाया गया।

27 जनवरी

महरोलीमें ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियारकी दरगाह देखने गये; वहाँ एकत्र जनसमुदायको सम्बोधित किया। गोविन्द वल्लभ पन्त, अबुल कलाम आजाद, विजयनगरके महाराजा, न्यायाधीश रामलाल, मेहरचन्द खन्ना, जवाहरलाल नेहरू और रामेश्वरी नेहरूके साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया।

28 जनवरी

राजेन्द्र प्रसाद, केन्द्रीय राहत समितिके सदस्यों, नवाब सादिक अली खाँ, जवाहरलाल नेहरू, अमृतकौर और विन्सेन्ट शीनके साथ बातचीत की। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया।

29 जनवरी

प्रभावती, जयप्रकाश नारायण, पùजा नायडू, कृष्णा हठीसिंह, इन्दिरा गांधी, राजन नेहरू और सुधीर घोषके साथ बातचीत की। मार्गरेट बुर्क-व्हाइट तथा यंग वीमन्स क्रिश्चियन एसोसिएशनके महासचिवको भेंट दी। प्रार्थना-सभामें भाषण दिया। कांग्रेस संविधानका मसौदा तैयार किया और उसमें कांग्रेस संगठनको समाप्त करने तथा लोक सेवक संघकी स्थापना करने का सुझाव दिया। देवदास गांधीके साथ बातचीत की।

30 जनवरी

कांग्रेस संविधानके मसौदेको सुधारा। प्यारेलाल, सुधीर घोष, मौलनाओं और सिन्धी शिष्टमण्डलके साथ बातचीत की। वल्लभभाई पटेलके साथ बातचीत की, शाम 4.30 बजे भोजन किया और बातचीत जारी रही। मणिबहन पटेलने बातचीत रोककर गांधीजी को प्रार्थनाका समय होने की याद दिलाई। मनु गांधी और आभा गांधीके कन्धोंका सहारा लेकर गांधीजी ने शामको प्रार्थना-सभाके लिए प्रस्थान किया। जैसे ही वे प्रार्थना-सभाके समीप पहुँचे कि किसी ने बहुत करीबसे तीन गोलियाँ उनपर दाग दीं। गांधीजी जमीन पर गिर गये और शाम 5.17 पर उन्होंने अन्तिम विदा ले ली।