गांधी दर्शन

दूसरा परिसर राजघाट पर महात्मा गांधी समाधि के निकट स्थित है।
महात्मा गांधी की शहादत के 21 वर्षों के बाद पूरी दुनिया ने 1969 में उनकी जन्म शताब्दी को उस प्रकार मनाना शुरू किया जो शांति के यात्री के अनुरूप है। उसके बाद महात्मा गांधी की जन्म शताब्दी मनाने के लिए 36 एकड़ में फैला परिसर अस्तित्व में आया। भारत के 13 राज्यों एवं सात दूसरे देशों ने गांधी दर्शन अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी का सृजन किया। प्रदर्शनी का मुख्य उद्देश्य गांधी के संदेश और आधुनिक विश्व की पृष्ठभूमि में सत्य एवं अहिंसा के सिद्धांत तथा जिस प्रकार इसने राष्ट्र के जीवन को तथा आधुनिक विश्व को प्रभावित किया है, उसकी व्याख्या करना है।

गांधी दर्शन परिसर
गांधी दर्शन परिसर

आज गांधी दर्शन में दो प्रदर्शनियों के मंडप है ”मेरा जीवन ही मेरा संदेश“ और मिट्टी माॅडल से निर्मित “स्वतंत्रता संग्राम”।

मेरा जीवन ही मेरा संदेश शीर्षक की पहली दीर्घा में दीवारों पर सैकड़ों पुरालेखीय चित्र संक्षिप्त व्याख्याओं के साथ लगाए गए हैं। इनमें से कुछ तस्वीरों में एक बच्चे एवं एक युवा व्यक्ति के रूप में गांधी जी की दुर्लभ तस्वीरें हैं। एक अनुकृति उस घर की भी है जिसमें उनका जन्म हुआ था तथा सेना का वास्तविक वाहन भी है जिसमें उनके पार्थिव शरीर को अंत्सेष्टि स्थल तक ले जाया गया था, जिसे अब राजघाट के नाम से जाना जाता है।

गांधी दर्शन मंडप में फोटो प्रदर्शनी का दृश्य
गांधी दर्शन मंडप में फोटो प्रदर्शनी का दृश्य

इसके अतिरिक्त, आगंतुक गांधी जी के स्कूल की रिपोर्ट कार्ड , अखबारों की कतरन तथा कार्टून जो समसामयिक रिपोर्ट एवं उनकी गतिविधियों की समीक्षाओं को प्रदर्शित करती हैं, गांधी जी एवं लियो टाॅल्सटाॅय के बीच पत्रों का आदान-प्रदान, उनकी पत्नी तथा बच्चों की तस्वीरों एवं अन्य दिलचस्प सामग्रियां भी देख सकते है। इस प्रदर्शनी में गांधी जी की हत्या के बाद दुनिया भर के देशों में आने वाले वर्षों में जारी किए गए स्मारक टिकटों को प्रदर्शित किया गया है; दूसरी प्रदर्शनी में पत्रों को प्रदर्शित किया गया है जो उन्हें भेजे गए थे।

विशेष रूप से ये पत्र दर्शाते हैं कि एक साधारण गुजराती वकील ने अपने जीवन काल में कितनी व्यापक प्रसिद्धि पाई। उदाहरण के लिए, एक पत्र ‘गांधीजीः वे चाहे जहां भी हों’ को संबोधित किया गया है; दूसरे पत्र मे जो न्यूयाॅर्क से पोस्ट किया गया था लिफ़ाफ़ा पर केवल गांधी जी का रेखाचित्र यानि स्केच भर था।

संक्षेप में, 274 पट्टिकाओं के साथ इस मंडप में निम्नलिखित हैंः

  1. पट्टिका संख्या 1 से 273 में गांधी जी के जन्म से लेकर हत्या तक की तस्वीरें हैं, जिनकी संख्या लगभग 1600 हैं।
  2. पट्टिका संख्या 274 में महात्मा गांधी के जन्म शताब्दी वर्ष पर जारी की गई विभिन्न देशों के 75 टिकट हैं।
  3. नमक सत्याग्रह के दौरान उपयोग में लाई गई नौका एवं तख्ती तथा बंदूक वाहन जिसमें महात्मा गांधी के पार्थिव अवशेष को बिड़ला भवन से राजघाट तक ले जाया गया, भी यहां रखा गया है।
  4. यहां पर अनुकृतियां हैः
    1. गुजरात के पोरबंदर में गांधी जी का घर
    2. साबरमती आश्रम
    3. यरवदा जेल।

गांधी दर्शन मंडप में 1930 नमक सत्याग्रह के समय गांधीजी द्वारा उपयोग की हुई नाव।
गांधी दर्शन मंडप में 1930 नमक सत्याग्रह के समय गांधीजी द्वारा उपयोग की हुई नाव।

गाड़ी, जिस पर महात्मा गांधी के पार्थिव शरीर को बिरला हाउस से राजघाट लाया गया।
गाड़ी, जिस पर महात्मा गांधी के पार्थिव शरीर को बिरला हाउस से राजघाट लाया गया।

समिति के पूर्व अभिरक्षक स्वर्गीय श्री अनिल सेनगुप्त द्वारा संयोजित, निर्मित भारत के स्वाधीनता संग्राम पर आधारित चिकनी मिट्टी के पटल।

1994 में, गांधी जी की 125वीं जन्म शताब्दी के दौरान, राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरसिम्हा राव ने औपचारिक रूप से राजघाट स्थित गांधी दर्शन में अंतरराष्ट्रीय गांधीवादी अध्ययन केंद्र की स्थापना करने की घोषणा की। 30 जनवरी, 2000 को राष्ट्रपति के. आरनारायणन ने प्रधानमंत्री तथा समिति के अध्यक्ष, श्री अटल बिहारी वाजपेयी एवं कई अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में परिसर में अंतरराष्ट्रीय गांधीवादी अध्ययन एवं शांति अनुसंधान केंद्र के स्थापना की घोषणा करते हुए एक स्तंभ का अनावरण किया।